एक मुस्कान

ये हवा ये गुलाबी मौसम सब बेमानी है तेरी एक मुस्कान से ये सुर्ख गुलाब ये तंज़ फ़िज़ा सब बेमानी है तेरी एक मुस्कान से खता हो जो बात झूठ…

Continue Readingएक मुस्कान

दिल रूठ गया

मशरूफ थी अपने आपमें पर सामने वो शीशा टूट गया कितने ही सपने थे उस शीशे में वह अब टुकड़ों में छूट गया बंट गए ख़याल एक एक करके लावा अंदर का फूट गया बीज बोये थे कई ख़्वाबों के मैंने कोई परिंदा आकर लूट गया छोड़ दिया है आजकल मैंने सब जब से दिल खुद से रूठ गया !! -कृति वर्मा

Continue Readingदिल रूठ गया

End of content

No more pages to load