
बाकी है
जीवन के इस मरूस्थल में जीवन जीना बाकी है,रिक्तता के साये में भाव आकांक्षा का अभी बाकी है, कठिनाइयों के झंझावात में राह आसान नहीं है लेकिन,अवरोधों के नक्षत्र में…
आम कवि
मैं अत्यंत आम इंसान हूँ,कवि के भेष में।रक्त नहीं,जैसे नफ़ा-नुकसान दौड़ता हैरगों में।मैं कविताएँ भी लिखता हूँ,काॅपी के पिछले पन्नों पे।महंगे कलम,सुंदर आवरण वाली डायरीसहेजता हू़ँ।क्योंकि ये भी लगते हैं,मुझे…
फौजी की पत्नी
कलम उठाने का आज मौका है,क्यूंकि आज उस फौजी की पत्नी के लिए दिल में वेदना है।मन विचलित ये सोच रहा है की हर फौजी की पत्नी कैसे अपने दिल…