आज कौन हूँ मैं?

जब चीरती हुई नज़रों से परखा जाता हूँ मैं, जब भी सवालों से खुद को घिरा पाता हूँ मैं। जब भी वतनपरस्ती की कसौटी पे कसा जाता हूँ मैं, जब…

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नदी

युगों-युगों से अंबर-अंबर पर्वत-पर्वत जंगल-जंगल अनहद नाद की तरह बजते हुए अपने-आप में मग्न हो बस उसे बहते रहना था क्योंकि बहना ; नदी होना है -आमिर विद्यार्थी

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ये वक्त भी ढल जाएगा

कल जब फोन आया था उनका बोल गए बड़े तजुर्बे से कि सिर्फ तुम ही अकेले नहीं रोते सिर्फ तुम ही अकेले नहीं सोते देखा तो है 18 साल से…

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