अजनबी

पहचाने से शहर में कोई अजनबी मिला है मैंने कुछ बातें की है, उसने कुछ सुना है डर रहा हूं फिर से, कहीं गुम न हो जाऊं अजनबियों के बीच…

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इल्जाम

मिली थी मैं तुम से कल मोहल्ले के चौराहे पे बात कल रात की थी गुम सुम बिल्कुल चुपचाप मैं निकाल आई नजरें बचाते हुए इल्म हुआ बरसों पहले न…

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नाम भी कोई पूछने की चीज़ है

काम पूछ लो,दाम पूछ लो,कहां से लाता हूँ राशन,वो दुकाँ पूछ लो,और कुछ न मिले तो,जबां पूछ लो,मिरे रहने का कुआं पूछ लो,ज़िंदा हूँ अब तक,मुफ़लिसी के बावज़ूद,कौन है मेहरबां…

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