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मुक्तक

नयन में घोर निद्रा है,
फलक पर घर बनाना है
जलाकर ज्योति जय की अब,
स्वप्न को दृढ़ बनाना है
जिजीविषा का हो गर भाव,
मृत्यु हार जाती है
तमस जीवन में हो हमको,
सदा ही मुस्कुराना है

-हर्षित दीक्षित