You are currently viewing सहायक वाचन

सहायक वाचन

जब आठवीं क्लास में पहुंचा तो 
हिंदी की क़िताब के साथ
एक और क़िताब पढ़ने को मिली
नाम था सहायक वाचन |

जहां हिंदी की किताब तक़रीबन ढाई सौ पन्नों की थी
वहीँ ये क़िताब मात्र अस्सी पन्नों की |
लेकिन परीक्षा में दोनों किताबों से बराबर प्रश्न आते थे,
मतलब सिर्फ़ सहायक वाचन को अच्छे से पढ़ लो तो पास होना पक्का |

आज इतने सालों बाद भी वो किताब मुझे हर जगह पास तो करवा ही देती है |

सोचा नही था कि
सिर्फ़ पास होने के लिए पढ़ी गई किताब;
जिंदगी के मायने भी बदलेगी |
बदलती भी क्यों नही, महात्मा गाँधी के बारे में जो थी |

– सुलभ सिंह