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ख़त उठा के देख लो

बिछड़े फिर देंगे आवाज़,ख़त उठा के देख लो,
हो आयेंगे हम भी याद,ख़त उठा के देख लो!
घिर आयेंगे आँखों में ख्वाब,ख़त उठा के देख लो
हिल जायेंगे फिर जज़्बात,ख़त उठा के देख लो !

क्या क्या हम करते थे बात,ख़त उठा के देख लो
कैसे कैसे बुनते थे ख्वाब,ख़त उठा के देख लो!
फिर हो जाएगी हसीं मुलाक़ात,ख़त उठा के देख लो!
कैसे कटती थी अपनी अपनी रात,ख़त उठा के देख लो !
उस फूल के टुकड़े बाकी है कुछ,ख़त उठा के देख लो
हर सम्त नज़र आयेंगे बाग़ ,ख़त उठा के देख लो !!

– प्रत्यूष शर्मा