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सफर चलता रहता है

टूटती है यारियां, बिछड़ते हैं लोग
और सफर यूँ ही चलता रहता है
रूठते हैं अपने फिर आते हैं पराए
और सफर यूं ही चलता रहता है
गुजरते हैं साल पर कटती नहीं रात
और सफर यूँ ही चलता रहता है
कहते हैं वो अपना करते हैं तमाशा
और सफर यूँ ही चलता रहता है
छूटते हैं हाथ फिर मिलते हैं साथी
और सफर यूँ ही चलता रहता है
दिखती है करीब दूर है जो मंजिल
और सफर यूँ ही चलता रहता है
याद नहीं चेहरा भूलते नहीं किस्से
और सफर यूँ ही चलता रहता है
तन्हा है शख्स नहीं है अब फुर्सत
और सफर यूँ ही चलता रहता है
आती है शाम चले जाते हैं परिंदे
और सफर यूँ ही चलता रहता है
बनते हैं रिश्ते फिर टूटते हैं दिल
और सफर यूँ ही चलता रहता है

  • कीर्ति देव पांडेय