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मुलाकात | 2

वो तो ठीक है लेकिन अब मैनें खुद को समझा लिया है
और काफी हद तक उन चीजों से उबर भी चुकी हूं…
उससे मिलकर फिर से कमजोर नहीं होना चाहती।

देख, ये बातें न तू किसी और से करना।
क्या समझा लिया है तूने खुद को ?
बस यही न कि अब कभी उससे बात नहीं करोगी।
लेकिन तेरा ध्यान तो अब भी उसी में लगा रहता है।
ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जब तू उसे याद नहीं करती
या उसके बारे में बात नहीं करती…

मेरी मानो तो एक बार मिल लो।
ऐसा भी तो हो सकता है कि
जिस मुलाकात को तुम खुद को
कमजोर करने वाली सोच रही हो
वही तुम्हें मजबूत कर जाए…
और तुम्हारी सारी शिकायतें भी खत्म हो जाए।

-राहुल रंजन