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भूख

चाय की चुस्कियां लेते हुए 
मेरी नज़र पास ही बैठे
एक 8-9 साल के बच्चे पर पड़ी
जिसकी नज़रें मुझपर टिकी थी।
उसकी शांत और मायूस सी आँखें
बड़ी उम्मीदों के साथ मुझे देख रहीं थी।

हाँ, वो भूखा था।

वहाँ से कुछ दूर ही मैदान के उस पार
करोड़ों की लागत से बने एसी पंडाल थे
जिसे सरकार की सफलताओं के
गुणगान के लिए बनाया गया था।

तभी उस पंडाल से कोई
अनाउंस कर रहा था कि
हमने अपने क्षेत्र से
भुखमरी और गरीबी को मिटा दिया है।

– अमित गुप्ता