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बंटवारा

जब अपने तलवार पकड़ के बैठ गए,
हम अपनी दस्तार पकड़ के बैठ गए।
कैसे वो मनचाही मंज़िल पाएंगे,
जो अपनी रफ़्तार पकड़ के बैठ गए।
कसदन भी वो हमको छोड़ नहीं सकते,
जो हमको इक बार पकड़ के बैठ गए।
पहले भी तो रूठा-रूठी चलती थी,
तुम भी क्या इस बार पकड़ के बैठ गए।
घर का झगड़ा आया जो बंटवारे पर,
बाबू जी दीवार पकड़ के बैठ गए।
हम को कहानी वैसी दिखने लगती है,
हम जैसा क़िरदार पकड़ के बैठ गए।

  • शिवम शर्मा गुमनाम