You are currently viewing प्रेम

प्रेम

प्रेम मोह में नहीं बाँधता
यह तो स्वतंत्र कर देता है
हर माया मोह से
प्रेम वही कर सकता है
जो त्याग कर सकता है
जो भय से ग्रसित हो
उसे प्रेम की प्राप्ति? सम्भव ही नहीं
प्रेम बन्धन में होते हुए भी स्वतंत्र है
प्रेम में लाभ मत तलाश करो
लाभ तलाश करते हो
तो प्रेम को भूलो
माया मोह दंभ से परे
प्रेम शाश्वत नीर है
तथ्यों पर प्रयोगों पर आधारित नहीं है
उसका विस्तार शून्य के समान है
उसे तलाश मत कर
प्रेम महत्ता का आभारी नहीं
वह वरदान है
जो हर किसी को प्राप्त नहीं होता।

– श्वेता पांडेय