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प्रकृति का स्पर्श

उस अनंत की कोख में
अस्तित्व की तलाश
करता मानव
जब सुदूर पर्वत के नीले
आवरण को निहारता हुआ
शून्य की स्तिथि में स्वयं को
अंगीभूत करता है
तब प्रकृति अपने स्पर्श से
एक नवीन अनुभूति का
परमसुख प्रदान करती है
और सकारात्मक ऊर्जा का
सतत प्रवाह उसके
मस्तिष्क मंडल को अनेक
विकारों से मुक्त करता है

-गौरव मिश्रा