You are currently viewing नज़्म

नज़्म

कभी तुमको फुर्सत से ग़र सोचता हूँ
तो लगता है यूँ जैसे तुम वो परी हो
जो भेजी गई हो
हक़ीक़त की दुनिया मे
लोगो को जादू से वाकिफ़ कराने.
तुम्ही हो वो लड़की
कि जिसकी वजह से
कई प्रेम कथाएं अमर हो गयी हैं
तुम्हारे लिए ही कटी होंगी नब्ज़ें
खुदा जाने कितने सुसाइड के नोटों में
किया होगा लड़कों ने ज़िक्र तुम्हारा
मगर तुम तो भोली सी हो एक लड़की
जिसे क्या फ़र्क है इन दुनिया की बातों से
जिसको ये लगता है कि
मंदिर में शामों को दीपक जलाने से होगी सभी ख्वाहिशें पूरी..
तुझे क्या खबर है तेरा रोज़ मंदिर में इस तरह आना
कई अथिस्टों को थिस्ट कर रहा है
तेरी एक मन्नत के चक्कर में मंदिर में
लाखों की मन्नत ही तू हो गयी है
और अब फिरसे कटने को हैं कुछ कलाई
लिखे जाएंगे फिर सुसाइड नोट
मगर तुझको क्या है फ़िक्र इन सभी की
तू आती रह मंदिर में दीपक जलाने

– अभिनव सक्सेना