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हां, कोई और भी है

आसमान की सिलवटें बता रहीं हैं,
मेरे साथ जाग रहा आज कोई और भी है,
करवटें बदलते,
अधूरे ख्वाबों के संग,
सितारो की गहराई नाप रहा,
कोई और भी है,
आकाशगंगा की रोशनी में लीन
वो अपनी ज़िन्दगी की चमक तलाश रहा,
बादलों पर बैठ,
नींद को धरती पर छोड़ ,
चांद की सैर कर रहा
कोई और भी है,
आज मेरी ही तरह जाग रहा कोई और भी है!

-कृति बिल्लोरे