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दौड़

चल एक दौड़ लगाते हैं; खुद से ही…
चल एक होड़ लगाते हैं; खुद से ही….
भीतर का बसा तेरा कल बाहर ले आते हैं..,

चल एक दांव लगाते हैं; आज पर हम …
चल एक नांव चलाते हैं; अंदाज पर हम..
भीतर छुपा तेरा मोती फिर दूंढ़ लाते हैं..

चल अपनें से बाहर निकलते हैं
चल खोज में आज, चल पड़ते हैं..
चल मिलने चलते हैं तेरे भ्रम से हम..
उम्मीदें छीन लाएंगे कम से कम

आ फिर जिंदगी के नए मोड़ पर जाते हैं
आ फिर एक दौड़ लगाते हैं

– एस बी राजपूत