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दस्तक़ देके तो देख

बुझी समा फिर से जलेंगी
ग़मों के बादल फ़िर से छटेंगें
फ़िर से आएगी मौसम खुशियों वाली
बस तू दस्तक़ देके तो देख
सावन फ़िर से बरसेगी
छाएगी फ़िर से हरियाली
काली अंधेरी रात फिर से छटेगी
नाचेंगें मोर मतवाले
बस तू दस्तक़ देके तो देख
घरौंदे भी बनेंगे
कश्ती भी चलेंगी
सपनों के स्वेटर भी बुनेंगे
ऐ बचपन
बस तू दस्तक़ देके तो देख

– अंकित आनंद