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तेरा जिक्र

गौर से पढना मेरी नज्में
तू कहीं तो नुमाया होगा
तेरा नाम नही तो नाम से
काफ़िया मिलाया होगा

मिसरों में ना हो अगर
मानी में छुपाया होगा
हर्फ़ो से तराशा जिसको
तेरा ही कोई साया होगा

ना मिले लफ़्जो में, तो
लफ़्जो के दरमियाँ होगा
लिखे पर ना लिखा हो तो
कोरे पर उभर आया होगा

तुझसे इब्तिदा नही तो
तुझपे इत्माम कराया होगा
तेरे नाम को मैने अपना
तख़ल्लुस बनाया होगा

फ़िक्र तेरी ही होगी, चाहे
ज़िक्र ना किया होगा
तू ही तू, मेरी नज्मों में
हरसू समाया होगा

– सक्षम सरोदे