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तुम कहो तो …

तुम कहो तो मैं चलूँ ?
राह में कुछ पल साथ बिताने को
थोड़ा सा हंसने को थोड़ा मुस्कुराने को
तुम्हे कुछ प्यार के किस्से सुनाने को
कुछ दर्द की दास्तां बताने को
तुम कहो तो मैं चलूं ?

तुम्हारे हाथों को थाम कर गीत गुन गुनाने को
तुम्हारे उदास से चेहरे को फिर से हँसाने को
दो पल के लिए ही सही,
तुम्हारी परछाई में खो जाने को
तुम कहो तो मैं चलूँ ?

तुम्हारे गम चुराने को
तुम्हारे आंसू पोंछ लाने को,
तुम्हारे दर्द में हिस्सा बंटाने को
तुम्हारे साथ चल कर खुद को भूल जाने को
तुम्हारा जिंदगी भर साथ निभाने को
तुम कहो तो मैं चलूँ ?

– आलोक कुमार सिंगरौल