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तुम और चाँद

कहीं दूर से चाँद
उतर आया था
उस दिन,
तेरे जुल्फों के घने
बियाबान में
क्षितिज सा फैला
मेरे – तेरे दरमियाँ
बिखरा दिया था
उसने मोगरे सी बहकती
मचलती ख़ुशबू वाली बहारें….
उसके ओझल होने से पहले
दुनिया हमारी
दूधिया रंगों से रंग
चुकी थी
तुमने मेरी बाहों में
आंखें मिटकाते
चाँद को पहली बार
सौम्य, मृदुल हँसी के साथ
विदा किया था…….

– सुरेश वर्मा