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तुम्हारा प्रेम

तुम्हारा प्रेम,
जैसे अथाह समुद्र
अकेली नाव
और कोई अपना दिख जाए!

तुम्हारा प्रेम,
जैसे मेले में बिछड़े
छोटे बच्चे को
अचानक
कोई अपना मिल जाए!

तुम्हारा प्रेम,
एक कुशल वादक है
जो जानता है
मुझ तने हुए तार को सहलाना
और निकाल पाना
एक सुरीली धुन !

– विपुल शुक्ला