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डिस्प्रिन

आज बैग खंगालने बैठा तो 
एक पुरानी डिस्प्रिन हाथ आ गई,
अरे,वही जिसका इस्तेमाल सरदर्द के
टाइम करते हैं।

उस डिस्प्रिन की तरह ही
मेरी जिन्दगी हो चली है

मुझे भी तो लोग,अक्सर
दर्द पड़ने पर ही इस्तेमाल करते हैं
और जब दर्द खत्म हो जाता हैं तो
ऐसे ही किसी बैग में पड़ी हुई
डिस्प्रिन की तरह भूल जाते हैं

फेंकते नहीं है अपनी जिंदगी से;
बस पड़े रहने देते हैं अगली बार
इस्तेमाल होने के लिए |

– पंकज कसरादे