जिंदगी गुब्बारे सी हो चली है
अब तो,
दुनिया की नज़र में
यूँ तो हवा में होते हैं आप,
लेकिन अंदर की हवा
कितनी गर्म है ?
ये कोई नहीं जानता,
और तो और कुछ लोग
सुई और कांटे लिए
आसपास ही मंडरा रहे हैं,
न जाने किस फ़िराक में हैं ?
ताज्जुब की बात है कि
मैं उन सबको क़रीब से जानता हूँ |