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ऐतबार

मुझ पर कर ऐतबार
हजरत मुझ से पूछ बैठे
आँखों में ये चमक कैसी
क्या हुआ
कौन है वो खुशनसीब
नजर झुक सी गई अदब से
मैने इशारे मे रूख कर दिया नजरों को
दिखा दी तुम्हारी तस्वीर
बताया मैने तसोवर तुम ही तुम हो
हजरत मुस्कुराते रह गए
और मै
खामोश सी….

– कामिनी कुमारी दास