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उड़ान

व्योम विहारी पक्षियों का झुंड
लौट रहा है अपने नीड़ों में
प्रसन्न कोलाहल के साथ
ऐ पथिक
तू भी लौट चल
बीती बिसार के, उनके साथ
उनकी प्रसन्नता में घोल दे
तू अपने दुखों को
तू भी भर ले उड़ान
उनके साथ
ये कोलाहल तो दुनिया की रीत है
अपने स्वर को कर और ऊँचा
तू भी उनके साथ
लौट चल तू भी अपने नीड़ में
व्योम विहार के साथ
ये गिरी पथ से
ऊंची है तेरे मन की उड़ान…

– गीतांजली गिरवाल