इन दिनों

तुम लौटते हो बदल जाता है कमरे का रंग दीवार पर अटके फ़्रेम में तुम्हारी न दिखती तस्वीर भी जाने कैसे निखर सी जाती है किसी की नज़रों में नहीं…

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