ये कैसा इश्क़ हैं

ये कैसा तेरा मेरा इश्क़ हैं खामोश है शब्द, फिर भी तेरी मेरी बातों का ज़िक्र हैं गुलाबी फ़रवरी सी अपनी अधूरी कहानी हैं दूर है तू मुझसे आंखों में…

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बांधो मत

नहीं,बांधो मत दायरों में लफ़्ज़ों में रिश्तों में मेरी रूह को,मेरेे अहसासों को नहीं ,बांधो मत कोई रिश्ता नहीं कोई नाम भी नहीं खुला रहने दो राहों को चले जाना…

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आह्वान

ओ दुपहरी, नींद से जागो; सुना है, यह सुना है रात पर पहरे बढ़ेंगे, और दिन पर भी उन्हीं का राज होगा। टूट जाएंगी सभी अवधारणाएं, और बहुमत को पुनः…

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