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आधी रात के ख्वाब

क्या तुमने सुना है सन्नाटे वाला शोर,
हां सन्नाटे वाला शोर,
जो रातों में होता है,झींगुरों की बातों में होता है
जो महसूस होता है गहरी सांसो में ,
सूनी पड़ी बाहों में , गर्म -गर्म आहों में
बढ़ती हुई धड़कन में,अकेलेपन की तड़पन में,
जो न सोने दे और न जागने,

इस शोर में कुछ सिमटी सी यादें है, कुछ बातें है,
कुछ रातें है जिनमे तारे कम हैं,
कुछ शामे हैं जिनमें आंखे नम हैं
चाँद अधूरा है, प्यार पूरा है
गले लगने का एहसास है,
फ़िर उन्हीं लबों की प्यास है,
दिल में दर्द है,
मौसम बहुत सर्द है

और गर्म स्वेटर सी.. तुम,
तुम्हारे चश्मे के पीछे की आंखें,
जिनमें इज़हार है,
पहला प्यार है ,
और अब खोता हुआ,
मैं तुम्हारी आँखों में,
बिखरे हुए बालों में,
डिंपल वाले गालों में,
झुमके वाले कानो में,
साथ गाते गानों में,

कितनी अच्छी लगती थी वो
डेरी मिल्क तुम्हारे होंठो पे
वो हंसी हमारी फ़ोटो पे

हम तुम साथ मे,
और सुबह की पहली चाय तुम्हारे हाथों में..
उस चाय के नाम

आयुष सोनी