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बूंद

ये बूंदे
कुछ-कुछ तुम जैसी हैं
थोड़ी बावली
तो थोड़ी मस्तानी सी
कुछ सुकून
तो कुछ बेचैनी भरी
इस मुक्कमल से शहर में अधूरी सी
हर कमी में थोड़ी-थोड़ी पूरी सी
ये बूंदे
कुछ-कुछ तुम जैसी हैं

-चारू पांडेय