यारों सुनाऊंगा और शेर, फिर कभी।
अभी मुझे हो रही है देर, फिर कभी।।
आज ज़रा जल्दी में हूँ, फैसला करो।
करते रहना ये हेर-फेर, फिर कभी।।
ता-सिन ज़िन्दगी कहती है काम करो।
पसार लेना पैर-वैर, फिर कभी।।
और अच्छा मैं क्या कह रहा था,
चलो छोड़ो, ख़ैर, फिर कभी।।
– प्रद्युम्न चौरे