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बेलौस अल्फाजों की कीमियागिरी

सड़कों पर सरसराते हुए
मोटरों की आवाज बहुत तेज है
जनता का लूटा गया खजाना
मजबूत किलेबंदी में
चोरों की तिजोरियों में
आप से ज्यादा सुरक्षित है,

खेतों में लगी फसलों का
कोई भविष्य नहीं है
कभी आंधी आएगी
कभी तूफान का गरजना शेष है,

कोहरा भी घना होगा
हिमपात भी ताजा होगा
समंदर के बेलहाज मचलने में
इनमें किसका दोष है,

तुम्हारी अनुपस्थिति में
दिसंबर की सर्दी
जून की तपती दुपहरी
गांव की सुहानी शाम
भटकती सांसों सी
बेचैन है..,

बेलौस अल्फाजों में कीमियागिरी नहीं है
सियासी वादों की तरह
खदानों के खोखले होने तक
बिना…उनको बताए कि
तुम्हारा हिस्सा, हड़पा जा रहा है,
सफेद दस्तावजों में..,

-पवन कुमार मौर्य