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बिट्टी के लिए

(१)

बिट्टी..
तुम हमारे जीवन में ऐसे आयीं
जैसे
कोई आने वाला मेहमान
बिना साँकल खटखटाए..
धड़धड़ाता हुआ…
सीधे अंदर चला आए
धरी रह जाएँ स्वागत की सब तैयारियाँ
और वो अचानक आकर
स्तब्ध कर दे हमें ।

(२)

अभी ट्रेन में हूँ बिट्टी
कुछ आधे घंटे बाद
तुम्हें कर सकूँगा स्पर्श ।
तुमसे पहली बार मिलने
रात भर जागती रही नींद मेरी
अनुभव से जानता हूँ..
जब देखना हो किसी का चेहरा
और आँखें भी ना करनी पड़ें बन्द
तब प्रेम में होते हैं हम!
तुम्हें अभी..
बिलकुल अभी
प्रेम कर रहा हूँ बिट्टी
बहुत प्रेम..
बिना देखे, बिना सुने, बिना मिले वाला
अद्भुत प्रेम !

कुछ ही मिनटों में
जब तुम्हें गोद में उठाऊँगा
तब इस प्रेम की जगह
कोई दूसरा प्रेम होगा।
पहले स्पर्श.. पहले मिलन का प्रेम..
वो प्रेम कैसा होगा…?
सोचता हूँ…. पर नहीं सोच पाता..
लगता है.. जब करूँगा..
तभी जान सकूँगा ठीक-ठीक !

(३)

बिट्टी..
मेरे हाथों में हो तुम
और
रोमांच की अधिकता ने
जड़ कर दिया है मुझे
मैं हो गया हूँ
सर्दी में जम गयी एक नदी
नहीं महसूसता कुछ भी ऊपर
मगर भीतर ही भीतर..
घुमड़ रहीं हैं
तुम्हारे प्रेम की मछलियां..

बहुत मुश्किल है
ठीक-ठीक समझ पाना
पर सोचता हूँ..
इस समय मेरी ख़ुशी
एक पिता की नहीं
किसी अबोध बच्चे की निश्छल ख़ुशी है ।

– विपुल शुक्ला