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प्रकृति

प्रकृति संग विकास का
सामंजस्य बहुत ज़रूरी है
कभी यह हमारी जरूरत थी
लेकिन अब मजबूरी है
आज संभल न पाए तो
ऐसा भी दिन आएगा
कॉन्क्रीट के जंगल होंगे
पर जीवन विलुप्त हो जाएगा

  • शिल्पी गुप्ता