You are currently viewing कुछ पता न चला

कुछ पता न चला

कहाँ साँस थमी
पता न चला
कब नब्ज़ रुकी
पता न चला
बहुत गहरी उदास रात हुई
कहाँ दफ़्न हुए
कुछ पता न चला
कुरेदो उन लम्हों को तो
तस्वीर उभरेगी मेरी दास्तां की
क्यों आंख तेरी भरी
कुछ पता न चला

– रानू वर्मा