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उदासियां

तुमने कभी सोचा है, उदासी कहाँ से आती है ?
ये बेचैनियाँ जो तुम्हें सोने नहीं देती
रात भर तुम ऑंखें तो बंद कर लेते हो
पर इन आँखों को सुकून नहीं मिलता
मन स्थिर नहीं रहता, भटकता रहता है
किसी एक ऐसी ख्वाहिश के लिए, तुम अपना आज
उदासियों और महत्वाकांक्षाओं से भर देते हो

फिर तुम इन्हीं आज से भविष्य को निहारते हुए
आज की चिंता छोड़, कल में खुश रहने के लिये
एक वज़ह ढूंढते हो, वो एक वज़ह ही तो कल है
तो इस कल को, क्यों उदासियों से भरा जाए
इसे तो खुशियों से गुलजार होना चाहिए |

क्या तुमने सोचा है कभी ये उदासियां कहाँ से आती है ?

– शुभम साहू