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इंस्टेंट इश्क़ | दो

आज सिद्दार्थ ने अपनी डायरी का वो पन्ना देखा,
जिसमें उसने लिखा था कि –

जब मैं लौटूंगा न तो तूफ़ान तुम्हारी जिंदगी में वैसा ही होगा,
जैसा तुम मेरी जिंदगी में लायी थीं|

गुस्सा नही था आज उसके मन में, इसलिए सोच पा रहा था|
किसकी जिंदगी में तूफ़ान लाने की बात कर रहा था वो “उसकी”
जिसे खुद से भी ज्यादा इश्क़ करता था |

“कहते हैं न जब कोई रास्ता न सूझे तो ऊपरवाला रास्ता दिखाता है|”

स्टडी टेबल पर रखी भगवान कृष्ण की जीवनी
और उसी टाइम पर टीवी पर आ रहे रामायण के किरदार रावण को देख
सिद्दार्थ असमंजस में पड़ गया|

वो उसकी जिंदगी में कैसा किरदार निभाना चाहता था ये उसे तय करना था|

उसने अपनी डायरी के अगले पन्ने पर लिखा –

“हो सके तो, मुझे माफ़ करना
मेरा प्यार ‘बदले’ का नही ‘बदलाव’ का है
तुम्हारी जिन्दगी में जब मैं याद किया जाऊं
तो कृष्ण की तरह
न कि रावण की तरह”|