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आखिरी मुलाक़ात

शायद आज के बाद
आप उसे कभी नहीं देख पाएंगे
आपका दिल थोड़ा सा भारी हो जाता है
वो सारी पुरानी बातें
वो सारी पुरानी यादें
किसी स्लाइड शो की तरह
आंखों के सामने चलने लगती है
आप उससे कुछ नहीं कहते
कुछ नहीं पूछते
बस चुपचाप एक कोने में खड़े होकर
उसे जीभर कर देखते हैं
उसकी छोटी-छोटी बातों पर मुस्कुराते हैं
उसकी शरारतों पर
आंखें बड़ी कर
प्यार से धमकाते हैं
लेकिन कुछ कहते नहीं
फिर, धीरे से
बिना कुछ कहे
बिना कुछ पूछे
बिना पीछे मुड़े
वहां से चले जाते हैं
वापस, कभी लौटकर न आने के लिए।

अमित कुमार