You are currently viewing आखिरी मुलाकात

आखिरी मुलाकात

तेरी हर अमानत, हर हक, लौटा रहे है हम
आखिरी दफा मिल लो, फिर जा रहे हैं हम

वो साड़ी जो अम्मा ने, बड़े ही प्यार से दी थी
भिजवा दी है वापस, बस बता रहे हैं हम

वो कंगन जो मुलाकात पर, पहनाये थे तुमने
चौखट पे रख दिये हैं, ताला लगा रहे हैं हम

वो बिंदिया जो माथे पर, तेरे लबों सी सजी थी
आज मिटा रहे हैं, खुद ही हटा रहे हैं हम

वो ज़र्द पन्नों की ज़ुबानी, जो किस्से ज़िंदा थे
बिखरे हुए हैं,और एक-एक जला रहे हैं हम

रक्षा के वो सूत्र जो, हिफाज़त के लिये बांधे थे
गंगा तीरे बैठे हैं, खोल सारे बहा रहे हैं हम

मुस्कान पसंद थी तुम्हें, अब मन नहीं करता
फिर भी हर तस्वीर में, मुस्कुरा रहे हैं हम

आखिरी दफा मिल लो, फिर जा रहे हैं हम

-शिवांगी शुक्ला