गुमनाम शायर

वह एक गुमनाम शायर है जो सारा वक़्त एक आलम ए हैरत में रहता है हवाओं में ना जाने किसकी एक सूरत बनाता है वही शायर जो नज़्मों में किसी…

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कल के अखबारों के लिए

आख़िरी दिसंबर की इस सर्द रात अपने एकांत कमरे में जब मैं तलाश रहा हूं अपनी नींद के लिए एक सुरंग कमरे के बाहर पसर चुका होगा कुहासा सड़क की…

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