वक़्त के मुसाफिर

आँखों में वो जूनून दिखा जो समंदर डुबो दे उम्मीदों में वो अलख जगा जो घने अँधेरे को चीर दे खुदी को पहचान तू ग़ालिब की बस नहीं है खुदी…

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