कोई इरादा न था

सुनों तुम्हें यूँ देखना और देखते ही रहना आँखों के रास्ते दिल में उतार लेने का कोई इरादा ना था खुद को बेकरार करने का बिन अल्फाज़ इक़रार का कोई…

Continue Readingकोई इरादा न था

एकांत

एकांत बुरा नही है, एकांत तो साथी है। बड़े से बग़ीचे में बैठें भवरों को निहारने का सुख है एकांत। तालाबों में कंकड़ मारते हुए डूबकर उस पार को जाना…

Continue Readingएकांत

इन दिनों

तुम लौटते हो बदल जाता है कमरे का रंग दीवार पर अटके फ़्रेम में तुम्हारी न दिखती तस्वीर भी जाने कैसे निखर सी जाती है किसी की नज़रों में नहीं…

Continue Readingइन दिनों

End of content

No more pages to load