बरगद का बलिदान

मैं बरगद हूँ नहीं हुआ हूँ बूढ़ा मैंने तरुणाई भर पार करी है। छुआ नहीं है अभी धवल हो, जूट-जटाओं ने धरती को, रंगत मेरी हरी भरी है। अभी आई…

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