प्रेम और प्रतीक्षा

"प्रेम" को कह सकते है हम प्रतीक्षायें और प्रार्थनाएं जो एक युग से शुरू होकर अंतिम युग तक जिंदा रहती है भिन्न भिन्न रूपों में ये विचरण करती है बदनामी…

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