या तो चाय या मैं!

उसकी पहली प्रेमिका ने उसे धोखा नहीं दिया था। बल्कि वो तो हमेशा उसे संभालती थी गिरने से, भटकने से… फिर हुआ कुछ यूं कि सेहत नासाज रहने लगी और…

Continue Readingया तो चाय या मैं!

प्रकृति

प्रकृति संग विकास कासामंजस्य बहुत ज़रूरी हैकभी यह हमारी जरूरत थीलेकिन अब मजबूरी हैआज संभल न पाए तोऐसा भी दिन आएगाकॉन्क्रीट के जंगल होंगेपर जीवन विलुप्त हो जाएगा शिल्पी गुप्ता

Continue Readingप्रकृति

“तुम्हारा जाना”

तुम्हारा जाना,⁣जैसे तोड़ गया,किसी बांध को। उत्पाती लहरों सी,⁣अब मैं काटती जा रही हूंँ, किनारों को ।⁣ ⁣उच्छृंखल नव युवती सी,⁣लांघती जा रही हूंँ,निर्मूल्य मापदंडों को।⁣ ⁣किसी नटखट शिशु सी,⁣मैं…

Continue Reading“तुम्हारा जाना”

End of content

No more pages to load