क़िस्मत का लिखा…

ग़ज़ब की नाच रही थी वो। उसके शरीर के पोर पोर में जैसे स्प्रिंग फिट था। पैरों की थिरकन में बिजली समाई थी। जिस्म का हर पोर पोर अपने अलग…

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परछाइयां

"कुछ देर पहले तक वो यहीं था। बालकनी में बैठ कर सिगरेट पी रहा था। मैं भी उसके साथ ही था। पता नहीं अचानक से कहाँ चला गया। मुझे उसकी…

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रेलगाड़ी

भीड़ से खचाखच भरा डब्बा। हर तरफ बस अपनी मंज़िल पर पहुंचने की ख्वाहिश लिए बैठे लोग। कुछ चेहरे उदास थे तो कुछ खुशमिजाज़। कुछ ने नींद के आगोश में…

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