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ज़िंदगी

कहने को तो बड़ी आसान है
पर न जाने क्या-क्या रंग दिखाती है ज़िंदगी,
एक पल में हँसाती है दूसरे पल में रुलाती है जिंदगी,
कभी गिरा कर उठाती है
तो कभी उठा कर गिराती है ज़िंदगी,
अपनों को पराया और पराये को भी अपना बनाती है जिंदगी,
कभी सावन के दिन
तो कभी पतझड़ के दिन दिखाती है जिदंगी,
फिर भी जीने के कई ढंग सिखाती है जिंदगी।।

– पलक जैन