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समंदर या पहाड़?

जुहू बीच पर बैठे हुए उसने उसका हाथ पकड़कर पूछा,
तुम्हें समंदर पसंद है या पहाड़?
उसने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उसकी आँखों में झांका और कहा,
मुझे समंदर पसन्द है।
लड़का असमंजस में आ गया और हैरानी से उसकी ओर देखते हुए कहने लगा,
समंदर क्यों?
उसने क़ातिलाना हँसी देते हुए उसके सीने पर अपना सर रखा और कहने लगी,
समंदर इसलिए क्योंकि समंदर में गहराई है
ठीक वैसी ही गहराई जैसे की हमारे प्रेम में है,
समंदर में शीतलता है ठीक वैसी ही शीतलता जैसी की हमारे रिश्ते में है।
समंदर में खोने के लिए कुछ भी नहीं पर पाने के लिए ढेर सारे गौहर है।

समंदर को महसूस किया जा सकता है उसके पानी से उसके रंग से
उसमें उठती लहरों से जैसे हम महसूस कर लेते है एक दूसरे को
अपनी सांसों से अपने होने से अपने ना होने से।
समंदर में शांति है, लेकिन पहाड़?
पहाड़ में वो बात नहीं है पहाड़ नीरस है
पहाड़ उदासीनता का सूचक है ,
पहाड़ शोर का प्रतीक है।
तुम उल्टा क्यों बोल रही हो,
लड़के ने अचानक से पूछा!
शोर तो समंदर करता है ना
और शांत तो पहाड़ रहते है।
उसने अपनी जुल्फों को हँसते हुए आंखों से हटाया और
कहने लगी, अरे बुद्दू यही तो प्रॉब्लम है तुम्हारी
तुम महसूस नहीं करना चाहते किसी भी चीज़ को।
फ़ील लेना सीखो समंदर शोर करते हुए भी बेहद शांत है
जबकि पहाड़ शांत होते हुए शोर से लबरेज़,
फील करो यार फ़ील।

पंकज कसरादे