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ये कैसा इश्क़ हैं

ये कैसा तेरा मेरा इश्क़ हैं
खामोश है शब्द,
फिर भी तेरी मेरी बातों का ज़िक्र हैं
गुलाबी फ़रवरी सी अपनी अधूरी कहानी हैं
दूर है तू मुझसे आंखों में जुदाई का पानी है
ये कैसा तेरा मेरा इश्क़ है
हुए रूख़सत इस तरह की अलविदा भी न कहा
कमबख्त आज भी निगाहे ताकती है तेरा रास्ता
गुलाब में काँटो की तरह मोहब्बत में अश्क है
ये जाने कैसा तेरा मेरा इश्क़ है

उत्तरा सिंह