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प्रेमपत्र

रातों में भरा है जाने कितना प्रेम
ना जाने कबसे
कि इस दुनिया का पहला प्रेमपत्र भी
लिखा गया होगा रात में ही
यूँ प्रेमपत्र रात-भूमि की आदिम फ़सल हैं
और प्रेमी स्वभावत: किसान हैं

रातें पिछले किसी जन्म में डाकघर रही होंगी
जिनमें आकाशगंगाओं ने छोड़े कई बेनामी प्रेमपत्र
जो इस जन्म की रातें बाँटती फिरती हैं
जागते हुए प्रेमियों को चुन चुन के
कि वे लिख सकें उनमें अपनी प्रेमिकाओं के नाम
और सितारे बेनाम होने से बच जाएँ
और टूटकर गिरें भी तो गिरें
किसी की बाट जोहती बाहों में

– अविनाश भारद्वाज