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पल

अजब दोराहे से
गुजर रही है जिंदगी
एक पल जज्बातों का
उमड़ा सैलाब है और
एक पल सूखा, बेहस,
खाली बंजर मन

एक पल लोगों का हुजूम है और
एक पल तन्हा, वाहिद,
मुत्मईन हम
एक पल जमाना
जीतने का गुमान है और
एक पल खुद ही से
हारने का अफसोस

यकीनन,एक पल में
सब कुछ है और
दूसरे ही पल,
कुछ भी नहीं ।

– सुमइया खान